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    देवी

    Explore " देवी" with insightful episodes like "विंध्यवासिनी शक्तिपीठ - मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश", "यशोर- यशोरेश्वरी शक्तिपीठ - ईश्वरीपुर, बांग्लादेश", "एथेंस शहर के एक्रोपॉलिस, 2100 बरस पुराने मंदिर | Acropolis of Athens", "विराट अंबिका शक्तिपीठ - भरतपुर, जयपुर" and "शिव के सती व्योग और नारायण के कारण हुए माता के 51 भागों का किस्सा" from podcasts like ""51 Shaktipeeth with Nishtha", "51 Shaktipeeth with Nishtha", "Itihaas Aur Vikas", "51 Shaktipeeth with Nishtha" and "51 Shaktipeeth with Nishtha"" and more!

    Episodes (5)

    विंध्यवासिनी शक्तिपीठ - मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश

    विंध्यवासिनी शक्तिपीठ - मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश
    51 शक्तिपीठों की ये यात्रा आप सबके साथ बहुत ही सुंदर रही, इस पॉडकास्ट के अंतिम एपिसोड में हम चल रहे हैं माता के अंतिम धाम क्योंकि इस स्थान का न कोई आदि है न अंत है. वो अनंता यहां अनंत तक के अपने पूर्ण वास में है. उत्तर प्रदेश की राजधानी से 286 km और लगभग 6 घंटे की दूरी पर और प्रयागराज से 83 km लगभग 1:45 की दूरी में स्थित है मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ. विंध्यवासिनी धाम के द्वारपाल हनुमान बाबा और भैरवनाथ है उनकी आज्ञा के बिना इस क्षेत्र में कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता. विंध्य क्षेत्र का वर्णन हमारे कई पौराणिक ग्रंथों में आया है. मार्कंडेय पुराण, मत्स्य पुराण, देवी भागवत, स्कंद पुराण, महाभारत, वामन पुराण, हरिवंश पुराण, राज तरंगिणी, बृहत कथा, कादंबरी और कई तंत्र ग्रंथ में इस स्थान की महिमा का गुणगान किया गया है. पुराणों में विंध्य क्षेत्र का महत्व तपोभूमि के रूप में वर्णित है. इस जागृत शक्तिपीठ की पूरी कहानी सुनिए.

    यशोर- यशोरेश्वरी शक्तिपीठ - ईश्वरीपुर, बांग्लादेश

    यशोर- यशोरेश्वरी शक्तिपीठ - ईश्वरीपुर, बांग्लादेश
    माता सती का यशोरेश्वरी शक्तिपीठ का अर्थ है जैसोर की देवी, पहले ये पूरा स्थान जैसोर के नाम से ही जाना जाता था, किंतु अब एक जिले तक सिमट कर रह गया है. यहां के स्थानीय हिंदू लोगों की ये कुल देवी है. यहां की शक्ति है मां यशोरेश्वरि और भैरव को चंद्र के नाम से पूजा जाता है. मान्यता है की इस स्थान पर माता की पैरो के तलवे का निपात हुआ था. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ में मां की उपासना महाकाली रूप में की जाती है पूरी कहानी के लिए सुनिए हमारा ये एपिसोड.

    एथेंस शहर के एक्रोपॉलिस, 2100 बरस पुराने मंदिर | Acropolis of Athens

    एथेंस शहर के एक्रोपॉलिस, 2100 बरस पुराने मंदिर | Acropolis of Athens
    यूनान की राजधानी एथेंस शहर एक अद्भुत और रोचक जगह है लेकिन क्या आपको पता है कि यहां का इतिहास इतना समृद्ध क्यों माना जाता है? इस शहर का नाम किसी देवी के नाम पर रखा गया था और यहां के एक्रापॉलिस क्यों बेहद खास हैं? यहां कितने पुराने समय से लोग रहते आए हैं? इसक साथ ही भारत का एथेंस किस जगह को कहते हैं? और दोनों में ऐसी क्या खास समानता है, आइए जानते हैं:

    विराट अंबिका शक्तिपीठ - भरतपुर, जयपुर

    विराट अंबिका शक्तिपीठ - भरतपुर, जयपुर
    अंबिका देवी विराट शक्तिपीठ सतयुग में देवी सती के बाए पैरो की उंगलियों का निपात हुआ था। यहां की शक्ति है मां अंबिका और भगवान शिव यहां भैरव अमृत के रूप में रहते है. इस मंदिर की मान्यता है की, महाभारत काल में जुए के खेल में कौरवों ने पांडवों को छल से हरा दिया। इसके चलते उन्हें 12 साल के वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला। तब पांडवो ने विराटनगर में ही अपना अज्ञातवास बिताया था उसी दौरान राजा युधिष्ठिर ने विराटनगर पहुंचकर इस शक्तिपीठ पर अपनी कुलदेवी का मानस पूजन किया था। कहते हैं की अज्ञातवास के समय देवी ने ही उन्हें विराटनगर रहने का आश्रय दिया था. इसके बाद से इसे मानस माता के रूप में भी जाना जाने लगा. पूरी कहानी सुनिए इस एपिसोड में।

    शिव के सती व्योग और नारायण के कारण हुए माता के 51 भागों का किस्सा

    शिव के सती व्योग और नारायण के कारण हुए माता के 51 भागों का किस्सा
    प्रजापति दक्ष के महायज्ञ में ऐसा क्या हुआ की महादेव के तीसरे नेत्र से उतपन्न वीरभद्र ने दक्ष का सिर धढ़ से अलग कर दिया। आख़िर शिव सती के शव को लेकर क्यों लोक-परलोक भटके और किन कारणों से भगवान विष्णु को माता सती के शव के 51 भाग करने पड़े? इस एपिसोड में सुने की जनकल्याण के लिए बने इन 51 शक्तिपीठों की स्थापना कैसे हुई और अंत में पर्वतराज हिमालय की पुत्री आदि शक्ति स्वरूपा पार्वती के साथ महादेव ने विवाह कर सृष्टि का कल्याण किया साथ ही जानिए की आज भी महादेव कहाँ पर अपना गृहस्थ जीवन बिता रहे हैं।
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